मुकेश कुमार सिंह
दिल्ली : फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) छठा नेशनल टूरिज्म इनवेस्टर्स मीट (एनटीआईएम) 23 और 24 सितंबर को आयोजित किया गया। इस मीट में बिहार को ‘थीम राज्य’ के तौर पर चयनित किया गया था। आयोजन का उद्देश्य कोविड के बाद के युग में बिहार के पर्यटन उद्योग को फिर से लॉन्च करने के लिए टूरिज्म में निवेश को प्रोत्साहित करना है। इस दो दिवसीय इवेंट के उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद, भारत सरकार में पर्यटन विभाग के महानिदेशक जी. कमलावर्धन राव और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन, तकनीकी सहयोग और सिल्क रोड डिवेलपमेंट (यूएनटीडब्ल्यूओ) के सुमन बिल्ला मौजूद थे। बिहार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में यात्रा और पर्यटन में अपार अवसर हैं। हमने बिहार में रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, गांधी सर्किट, सूफी सर्किट और कई और सर्किट बनाए हैं। हाल ही में, बिहार के मुख्यमंत्री ने बांका में मंदार हिल्स में रोपवे का उद्घाटन किया। पहले इसे 1 घंटे में कवर किया गया था, जो अब 3 मिनट में कवर किया जा सकेगा। ये क्रांतिकारी बदलाव है। बिहार में फ्रेश वाटर की कई झीलें हैं, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत दर्जा मिला है। राजगीर में एक नया रोपवे भी बनाया गया है। राजगीर में चिड़ियाघर सफारी, नेचर सफारी भी है और एक सुंदर कांच का पुल (ग्लास ब्रिज) बनाया गया है, जो लोगों को आकर्षित करता है। बुद्ध की भूमि बोधगया हम सभी के लिए एक पवित्र स्थान है। वाल्मीकि टाईगर रिजर्व बिहार का एक दर्शनीय स्थल है। पर्यटन के अलावा आज बिहार ‘हर थाली में बिहारी व्यंजन’ अभियान के तहत भारत के सभी प्लेटों में राजकीय व्यंजनों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। वे निवेशकों से अनुरोध करता हूँ कि बिहार में आकर निवेश करें। महावीर, सीता और बुद्ध की भूमि आप सभी का स्वागत करती है। उषा पाधेय, संयुक्त सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट बनने के बाद बिहार में पर्यटन क्षेत्र में निवेश की संभावना बढ़ी है। दरभंगा में एयरपोर्ट बनने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं और साथ ही उत्तर बिहार दर्शनीय स्थल भी अब आसानी से घूमे जा सकते हैं। फिक्की की ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पटिलिटी कमिटी के अध्यक्ष और ललित सूरी हॉस्पटिलिटी ग्रुप की सीएमडी डॉ. ज्योत्सना सूरी ने कहा कि बिहार में ट्रेवल और टूरिस्म को लेकर कई सम्भावनाएँ हैं। गौतम बुद्ध की धरती बोधगया का दुनिया भर में नाम है, जिसे और सुदृढ़ तरीके से उभरने की जरूरत है। राजगीर, नालंदा व गया में चेन ऑफ होटल्स की आवश्यकता है। लुंबिनी में गौतम बुद्ध के जन्म स्थान की तुलना में बिहार की भूमि का मूल्य अधिक है। बोधगया का अधिक महत्व है, इसलिए निवेश के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है। नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान का भंडार हुआ करता था। यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी था। आने वाले समय में आगे की पीढ़ियों को इससे रूबरू कराने को आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनटीडब्ल्यूओ) के निदेशक, सुमन बिल्ला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिनेवा से बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि यूएन महामारी के प्रकोप के कारण हुए नुकसान को देखते हुए देशों में यात्रा और पर्यटन में निवेश के विचार का प्रचार कर रहा है। अब वहाँ एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, जिसे हम देख रहे हैं। निवेश वापस आ रहा है और यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है।
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