Patna Archives - FRONT HEADLINES https://frontheadlines.com/tag/patna/ सच दिखाने की जिद Tue, 05 Oct 2021 12:05:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://frontheadlines.com/wp-content/uploads/2021/09/cropped-Front_Headlines_Logo_500x258-32x32.jpg Patna Archives - FRONT HEADLINES https://frontheadlines.com/tag/patna/ 32 32 बिहार में पूरी तरह से दरकने लगा है महागठबंधन https://frontheadlines.com/bihar-mahagathbandhan-tejashvi-yadav/ https://frontheadlines.com/bihar-mahagathbandhan-tejashvi-yadav/#respond Tue, 05 Oct 2021 12:05:18 +0000 https://frontheadlines.com/?p=274 उपचुनाव के दो सीटों पर राजद और कॉंग्रेस है आमने-सामने वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह पटना (बिहार) : बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों, कुशेश्वरस्थान और तारापुर में उपचुनाव होने वाले हैं। एनडीए की तरफ से जदयू ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर जदयू …

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उपचुनाव के दो सीटों पर राजद और कॉंग्रेस है आमने-सामने

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों, कुशेश्वरस्थान और तारापुर में उपचुनाव होने वाले हैं। एनडीए की तरफ से जदयू ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर जदयू के प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की थी। जदयू के महेश्वर हजारी ने कुशेश्वर स्थान और मेवा लाल चौधरी ने तारापुर से जीत हासिल की थी लेकिन दोनों का असामयिक निधन हो गया, जिसके कारण उप चुनाव की नौबत आई है। जदयू ने कुशेश्वर स्थान सुरक्षित सीट से अमन हजारी और तारापुर से राजीव कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों सीटों को लेकर महागठबंधन में दो फाड़ हो गया है। राजद ने रविवार को इन दोनों सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। राजद ने तारापुर से अरुण साह और कुशेश्वर स्थान सुरक्षित सीट से गणेश भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशेश्वर स्थान सुरक्षित सीट कॉंग्रेस के हिस्से में थी। जाहिर सी बात है कि कॉंग्रेस किसी भी कीमत पर दरभंगा के कुशेश्वरस्थान सीट पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है। बिहार कॉंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने तो, यहाँ तक कह दिया है कि इन दोनों सीटों पर एक-दो दिनों में कॉंग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने जा रही है। उन्होंने कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय, महागठबंधन को राजद के डिक्टेटरशिप की कीमत चुकानी पड़ी थी। पहले जीतन राम मांझी ने किनारा किया, फिर उपेंद्र कुशवाहा ने दूसरी राह पकड़ ली। आखिर में मुकेश साहनी ने भी एनडीए का था दामन थाम लिया। दीगर बात है कि एनडीए में इन दिनों ऑल इज वेल की स्थिति है, वहीँ महागठबंधन में सब कुछ सामान्य नहीं है। कॉंग्रेस राजद पर दबाब बनाना चाहती थी, पर राजद किसी भी कीमत पर इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की जीत चाहता है। इसी कारण से राजद ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

खबर यह भी मिल रही है कि राजद चीफ लालू प्रसाद यादव इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की चुनावी सभाओं को संबोधित भी करेंगे। लालू प्रसाद यादव, बहुत जल्द दिल्ली से बिहार आ रहे हैं। तारापुर विधानसभा क्षेत्र से पिछली बार राजद ने अपने कद्दावर नेता जयप्रकाश नारायण यादव के पुत्री को टिकट दिया था लेकिन इस बार राजद ने यहाँ से एक नए उम्मीदवार को टिकट दिया है। तारापुर कुशवाहा और यादव मतदाता बहुल क्षेत्र है। यहाँ से यादव और कुशवाहा समाज के लोग ही चुनाव जीतते आए हैं। लेकिन राजद ने इस बार नया प्रयोग करते हुए तारापुर विधानसभा क्षेत्र से बनिया समाज के व्यक्ति को टिकट दिया है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि यह सब स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं के द्वारा मिले फीडबैक के आधार पर निर्णय लिया गया है। लड़ाई दोनों सीटों पर काफी टफ होने वाली है। कॉंग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने हमसे हुई बातचीत के दौरान कहा है कि उनकी पार्टी अब केवल कुशेश्वरस्थान ही नहीं बल्कि तारापुर विधानसभा सीट से भी अपने उम्मेदवार उतारेगी। अजीत शर्मा ने कहा कि राजद ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव के समय ही यह तय हुआ था कि तारापुर सीट राजद के हिस्से में रहेगी और कुशेश्वर स्थान सीट से कॉंग्रेस अपना कैंडिडेट देगी। लेकिन रविवार को अचानक प्रेस कांफ्रेंस कर राजद ने इन दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जो कि बेहद आश्चर्य की बात है।अजीत शर्मा ने कहा कि कुशेश्वरस्थान कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। चूंकि राजद ने वहाँ भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है। उस सीट से कॉंग्रेस के अशोक राम, हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। साथ ही, अब तारापुर सीट से भी पार्टी चुनाव लड़ेगी। इधर, चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा भी इन दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पप्पू यादव की पार्टी और पलूरल्स पार्टी, अलग से अपने-अपने उम्मीदवार चुनावी समर में उतारने की तैयारी में है। जाहिर तौर पर महागठबंधन के अंदर बिखराव का फायदा, जदयू को मिलना तय है। बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि तारापुर सीट पर जदयू ने कुशवाहा समाज के व्यक्ति को टिकट दिया है। ऐसे में, राजद ने बनिया समाज के व्यक्ति को टिकट देकर यह संदेश दिया है कि वह सर्व समाज की बात करता है। ऐसे में, बनिया समाज और अन्य दबी-कुचली जातियों का वोट तो राजद को मिलेगा ही साथ ही साथ ही यादव भी राजद उम्मीदवार को वोट देंगे। बेहद दिलचस्प बात यह है कि जानकारों का कहना है कि इससे, जदयू उम्मीदवार को परेशानी हो सकती है। वैसे, कुशेश्वरस्थान सीट पर जदयू के साथ सहानुभूति लहर है। यहाँ यह बात भी काफी महत्वपूर्ण है कि इस क्षेत्र पर, कॉंग्रेस की भी अच्छी पकड़ है। कांग्रेस और राजद के बीच दूरी नई बात नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद से ही राजद के रणनीतिकार मानते हैं कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने का ही नतीजा था कि पार्टी सर्वेक्षणों में आगे रहने के बावजूद मामूली अंतर से सत्ता की कुर्सी पर बैठने से पीछे रह गई। दूसरी तरफ कॉंग्रेस के स्थानीय नेताओं को लगता है कि राजद ने पूरी पार्टी को अपने बैसाखी पर टिका दिया है। पार्टी में जो नेता राजद के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें ठिकाना लगा दिया जाता है। राजद जहाँ जोड़-तोड़ गठजोड़ के बल पर सत्ता में वापस लौटने के किसी भी मौके को छोड़ना नहीं चाह रहा है, वहीँ जदयू की नजर कॉंग्रेस के विधायकों पर बनी हुई है। 2 सीटों पर होने वाले इस उप चुनाव से किसकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा, यह तो आने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा लेकिन फिलहाल महागठबंधन की दरारें अब तेजी से बढ़ने लगी हैं।

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इको टूरिज्म केंद्र बनने के लिए बिहार है प्रतिबद्ध https://frontheadlines.com/bihar-tourism/ https://frontheadlines.com/bihar-tourism/#respond Fri, 24 Sep 2021 17:07:39 +0000 https://frontheadlines.com/?p=225 मुकेश कुमार सिंहदिल्ली : फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) छठा नेशनल टूरिज्म इनवेस्टर्स मीट (एनटीआईएम) 23 और 24 सितंबर को आयोजित किया गया। इस मीट में बिहार को ‘थीम राज्य’ के तौर पर चयनित किया गया था। आयोजन का उद्देश्य कोविड के बाद के युग में बिहार के पर्यटन उद्योग को …

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मुकेश कुमार सिंह
दिल्ली : फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) छठा नेशनल टूरिज्म इनवेस्टर्स मीट (एनटीआईएम) 23 और 24 सितंबर को आयोजित किया गया। इस मीट में बिहार को ‘थीम राज्य’ के तौर पर चयनित किया गया था। आयोजन का उद्देश्य कोविड के बाद के युग में बिहार के पर्यटन उद्योग को फिर से लॉन्च करने के लिए टूरिज्म में निवेश को प्रोत्साहित करना है। इस दो दिवसीय इवेंट के उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद, भारत सरकार में पर्यटन विभाग के महानिदेशक जी. कमलावर्धन राव और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन, तकनीकी सहयोग और सिल्क रोड डिवेलपमेंट (यूएनटीडब्ल्यूओ) के सुमन बिल्ला मौजूद थे। बिहार के  पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में यात्रा और पर्यटन में अपार अवसर हैं। हमने बिहार में रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, गांधी सर्किट, सूफी सर्किट और कई और सर्किट बनाए हैं। हाल ही में, बिहार के मुख्यमंत्री ने बांका में मंदार हिल्स में रोपवे का उद्घाटन किया। पहले इसे 1 घंटे में कवर किया गया था, जो अब 3 मिनट में कवर किया जा सकेगा। ये क्रांतिकारी बदलाव है। बिहार में फ्रेश वाटर की कई झीलें हैं, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत दर्जा मिला है। राजगीर में एक नया रोपवे भी बनाया गया है। राजगीर में चिड़ियाघर सफारी, नेचर सफारी भी है और एक सुंदर कांच का पुल (ग्लास ब्रिज) बनाया गया है, जो लोगों को आकर्षित करता है। बुद्ध की भूमि बोधगया हम सभी के लिए एक पवित्र स्थान है। वाल्मीकि टाईगर रिजर्व बिहार का एक दर्शनीय स्थल है। पर्यटन के अलावा आज बिहार ‘हर थाली में बिहारी व्यंजन’ अभियान के तहत भारत के सभी प्लेटों में राजकीय व्यंजनों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। वे निवेशकों से अनुरोध करता हूँ कि बिहार में आकर निवेश करें। महावीर, सीता और बुद्ध की भूमि आप सभी का स्वागत करती है। उषा पाधेय, संयुक्त सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि  दरभंगा एयरपोर्ट बनने के बाद बिहार में पर्यटन क्षेत्र में निवेश की संभावना बढ़ी है। दरभंगा में एयरपोर्ट बनने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं और साथ ही उत्तर बिहार दर्शनीय स्थल भी अब आसानी से घूमे जा सकते हैं। फिक्की की ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पटिलिटी कमिटी के अध्यक्ष और ललित सूरी हॉस्पटिलिटी ग्रुप की सीएमडी डॉ. ज्योत्सना सूरी ने कहा कि बिहार में ट्रेवल और टूरिस्म को लेकर कई सम्भावनाएँ हैं। गौतम बुद्ध की धरती बोधगया का दुनिया भर में नाम है, जिसे और सुदृढ़ तरीके से उभरने की जरूरत है। राजगीर, नालंदा व गया में चेन ऑफ होटल्स की आवश्यकता है। लुंबिनी में गौतम बुद्ध के जन्म स्थान की तुलना में बिहार की भूमि का मूल्य अधिक है। बोधगया का अधिक महत्व है, इसलिए निवेश के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है। नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान का भंडार हुआ करता था। यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी था। आने वाले समय में आगे की पीढ़ियों को इससे रूबरू कराने को आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनटीडब्ल्यूओ) के निदेशक, सुमन बिल्ला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिनेवा से बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि यूएन महामारी के प्रकोप के कारण हुए नुकसान को देखते हुए देशों में यात्रा और पर्यटन में निवेश के विचार का प्रचार कर रहा है। अब वहाँ एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, जिसे हम देख रहे हैं। निवेश वापस आ रहा है और यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है।

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जातीय जनगणना को लेकर बिफरे लालू, बीजेपी पर किया जोरदार हमला https://frontheadlines.com/lalu-yadav-on-caste-census/ https://frontheadlines.com/lalu-yadav-on-caste-census/#respond Fri, 24 Sep 2021 09:05:11 +0000 https://frontheadlines.com/?p=219 मुकेश कुमार सिंहपटना (बिहार) : देश में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे वक्त से ना केवल बहस छिड़ी है बल्कि अब इस पर विवाद भी गहराता जा रहा है। दीगर बात है कि जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होने जा रही है। जातीय जनगणना …

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मुकेश कुमार सिंह
पटना (बिहार) : देश में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे वक्त से ना केवल बहस छिड़ी है बल्कि अब इस पर विवाद भी गहराता जा रहा है। दीगर बात है कि जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होने जा रही है। जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार के बाद, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपना धैर्य और आपा खो दिया है। लालू प्रसाद यादव ने ताबड़तोड़ दो ट्वीट किये हैं, जिससे साफ जाहिर हो रहा कि लालू प्रसाद यादव, हरहाल में जातिगत जनगणना के लिए बैचेन थे लेकिन केंद्र के फैसले के बाद उनके सब्र का बांध टूट गया है।जातीय जनगणना को लेकर बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। मुलाकात करने वालों में पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी थे। तेजस्वी यादव के पिता और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने ट्विटर पर जम कर भड़ास निकाला है।

जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार के बाद, लालू ने ओबीसी तबके से आने वाले सांसद और मंत्रियों को खूब खड़ी-खोटी सुनाई है। लालू ने ट्वीट कर लिखा है कि ओबीसी वर्ग से चुने गए सांसदों और मंत्रियों पर धिक्कार है। इनका बहिष्कार होना चाहिए। लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट में लिखा है कि “जनगणना में साँप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी और पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह! BJP और RSS को पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों ? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा। इससे सबकी असलियत सामने आएगी। एक अन्य ट्वीट में लालू प्रसाद यादव ने लिखा है कि BJP-RSS पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है। अगर केंद्र सरकार जनगणना फॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ कर देश की कुल आबादी के 60 फीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो, ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है। इनका बहिष्कार हो। गौरतलब है कि हाल में ही, बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली प्रतिनिधिमंडल ने जाति गणना की मांग पीएम से की थी।

इसमें लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी शामिल थे। सभी ने जल्द से जल्द जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी, जो लंबे वक्त से अटकी हुई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछड़े वर्ग की जाति जनगणना एडमिनिस्ट्रेटिव तौर पर कठिन और बोझिल कार्य है। सोच -समझ कर, एक नीतिगत फैसले के तहत इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से अलग रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में हलफनामा दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 में की गई थी और उसमें कई गलती और त्रुटि थी। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पिछले साल एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2011 के दौरान एकत्र जानकारी दी थी। इसमें एससी-एसटी की जानकारी है लेकिन जातियों की अन्य श्रेणी की चर्चा नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि ओबीसी, पिछड़ी, अति पिछड़ी, दलित-महादलित के जातीय आधार पर जनगणना की वकालत की जा रही है लेकिन कहीं से यह आवाज नहीं उठ रही है कि सवर्णों की भी जातीय जनगणना होनी चाहिए। वैसे, भारत विषय का पहला देश है जहाँ, इकीसवीं सदी में जातिगत गणना की कवायद चल रही है। आजादी के इतने दशक बाद, आरक्षण को सही तबकों तक, कोई भी सरकार नहीं पहुँचा पाई लेकिन वोट की राजनीति में जातीय विष फैलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अगर सही मायने में, भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने की पवित्र ईच्छा है तो, समाज को दो जाति, या वर्ग में बाँट कर आरक्षण का लाभ देना होगा। जाति और वर्ग, गरीब और अमीर के बनाने से ही, इस देश का भला होगा। अन्यथा, इस देश में कभी भी खूनी सामाजिक संघर्ष की पटकथा लिखी जा सकती है।

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मुख्यमंत्री ने खान एवं भूतत्व विभाग की समीक्षा की https://frontheadlines.com/cm-nitish-kumar/ https://frontheadlines.com/cm-nitish-kumar/#respond Thu, 23 Sep 2021 18:30:52 +0000 https://frontheadlines.com/?p=207 मुकेश कुमार सिंहपटना (बिहार) : मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प भवन’ में खान एवं भूतत्व विभाग की समीक्षा की। खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती हरजोत कौर ने विभाग में किये जा रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि …

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मुकेश कुमार सिंह
पटना (बिहार) : मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प भवन’ में खान एवं भूतत्व विभाग की समीक्षा की। खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती हरजोत कौर ने विभाग में किये जा रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से झारखण्ड के अलग होने के बाद बालू को ही राजस्व का एक मुख्य स्रोत माना जाता था। सरकार में आने के बाद हम लोगों ने सभी क्षेत्रों में विकास का काम किया है, जिससे राजस्व के कई स्रोत बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को बालू आसानी से उचित कीमत पर प्राप्त हो सके, इसके लिये विभाग सतत् अनुश्रवण करे ताकि लोगों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। पर्यावरणीय एवं पारिस्थिति के संतुलन को ध्यान में रखते हुये, सारे कार्य किये जायें। बिहार में ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व के पहाड़ों को संरक्षित रखना है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विभाग अवैध खनन पर कठोरता से अंकुश लगाये और इसमें संलग्न लोगों पर कठोर कानूनी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि अभी हाल में विभाग ने इस संबंध में व्यापक कार्रवाई की है। बैठक में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव वित्त एस. सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती हरजोत कौर, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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बाँका जिले का मंदार पर्वत, देश का है ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल https://frontheadlines.com/bihar-tourism-banka/ https://frontheadlines.com/bihar-tourism-banka/#respond Thu, 23 Sep 2021 17:52:10 +0000 https://frontheadlines.com/?p=195 वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंहबिहार के बाँका जिले का मंदार पर्वत की चर्चा, भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में भी वृहत्तर तरीके से की गई है। ऐतिहासिक पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार मंदार पर्वत अपने अंचल में 88 कुण्डों को समेटता था। इनमें से कई कुण्ड आज भी दर्शनीय हैं। इनमें सबसे बड़ा पर्वत के आधार पर अवस्थित …

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वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह
बिहार के बाँका जिले का मंदार पर्वत की चर्चा, भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में भी वृहत्तर तरीके से की गई है। ऐतिहासिक पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार मंदार पर्वत अपने अंचल में 88 कुण्डों को समेटता था। इनमें से कई कुण्ड आज भी दर्शनीय हैं। इनमें सबसे बड़ा पर्वत के आधार पर अवस्थित पापहरणी कुण्ड है। मकर संक्राति एवं आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि पर दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु इस कुण्ड में स्नान करने आते हैं। इस कुण्ड को क्षीरसागर का प्रतीक मानते हुए इसके मध्य में शेषशायी विष्णु का लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया गया है, जो इस कुण्ड के आकर्षण और भव्यता को और बढ़ा देता है। पापहरणी के अलावा भाख कुण्ड भी एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। इसके बारे मे मान्यता है कि इसके मध्य में विष्णु का पाँचजन्य भाख रखा है। इसी भाख से शिव ने सागर मंथन के पश्चात निकले विष का पान किया था, जिसके प्रभाव से भांख नीलवर्ण हो गया है। इसके अलावा सीता कुण्ड भी श्रद्धा का एक केन्द्र है, जहाँ लोक प्रचलित मान्यता के अनुसार वनवास अवधि में सीता ने सूर्य की उपासना में छठ व्रत किया था। पर्वत के मध्य में एक गुफा में विष्णु के नरसिंह रूप की एक मूर्ति है, जिसके नाम पर यह गुफा “नरसिंह गुफा” के नाम से प्रचलित है। पर्वत के आधार स्थल पर सफा धर्म का सत्संग मंदिर है, जिसमें इस मत के प्रवर्तक स्वामी चन्दरदास के चरण चिह्न मौजूद हैं और इस मत के अनुयायियों के लिए यह मंदिर अधिवेशन केन्द्र के रूप में प्रयुक्त होता है। मंदार के पूरब की ओर तलहटी में प्राचीन लखदीपा मंदिर का जीर्णावषश अवस्थित है, जहाँ दीपावली की संध्या को एक लाख दीपों का विहंगम प्रज्जवलन किया जाता था। 1505 इस्वी में चैतन्य महाप्रमु का मंदार आगमन हुआ था और जिसके स्मृति स्वरूप उनके चरण चिह्न एक चबुतरे पर आज भी दर्शनीय है। इन स्थलों के अतिरिक्त भी पर्वत पर शिव, सिंहवाहिनी दुर्गा, महाकाली, नरसिंह आदि की सुन्दर मूर्तियाँ चारो तरफ अवस्थित हैं।
मंदार पर्वत का सांस्कृतिक पक्ष
पर्वत के परिसर में वर्ष में दो बार भव्य मेले का आयोजन होता है। मकर संक्रांति पर दूर-दूर सेश्रद्धालु पापहरणी सरोवर में स्नान करने आते हैं और इस अवसर पर एक पक्ष का मेला आयोजित होता है। पहले यह मेला बौंसी मेला के नाम से लोक प्रसिद्ध था और इसकी भव्यता की चर्चा काफी दूर-दूर तक जनप्रसिद्ध थी। वर्तमान में, इसे प्रशासन के सहयोग से सांस्थानिक रूप दिया गया और अब यह प्रत्येक वर्ष मंदार महोत्सव के नाम से आयोजित होता है। मकर संक्राति के बाद आषाढ़ मास को शुक्ल द्वितीया पर भी, यहाँ एक दिवसीय मेले का आयोजन होता है। इस अवसर पर मंदार से 5 कि.मी. पूर्व की ओर बासी नगर में अवस्थित मधुसूदन मंदिर से रथयात्रा निकलती है, जिसमें भगवान मधुसूदन की गजारूद्ध मूर्ति को पापहरणी सरोवर में स्नान कराने के लिए लाया जाता है। यह रथयात्रा जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा की तर्ज पर होती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अवसर पर एकत्रित होते हैं।
मंदार पर्वत
“वीरचान्दनयोर्मध्ये मंदारो नामः पर्वत”। विष्णु पुराण की इस पंक्ति में चीर और चान्दन नदी के मध्य जिस पर्वत की ओर इंगित किया गया है, वही आज दक्षिणी बिहार के गंगा के मैदान और संथाल परगना की उच्च भूमि की संधि पर 445 मीटर की ऊँचाई तक मस्तक उठाए खड़ा मंदार पर्वत है। भागलपुर से दक्षिण दिशा में झारखंड के दुमका की ओर जाने के रास्ते में बौंसी प्रखंड में प्रवेश करते ही काले ग्रेनाईट की एक ही शिला से निर्मित प्रकृति की यह अनुपम रचना, दृष्टिगत होती है और बरबस ही अपनी ओर ध्यान आकृष्ट कर लेती है। इसके साथ ही चरण से शिखर की तरफ जाते वलयकार चिह्न दूर से ही साफ-साफ नजर आते हैं। पौराणिक आस्थाओं की मानें तो, सागर मंथन में इसे मथनी की तरह प्रयोग करने के लिए इस पर, रज्जु के तौर पर लपेटे गए नागराज वासुकी की रगड़ से बने हुए हैं।
पौराणिकता में मंदार
प्राचीन धार्मिक साहित्यों में बाल्मिकी रामायण, मार्कण्डेय पुराण, मत्स्य पुराण, वामन पुराण, स्कण्य पुराण, वृहत पुराण, विष्णु पुराण, श्री भागवत पुराण, गरुड़ पुराण, मात्पथ ब्राहमण, कोई भी मंदार के उल्लेख से अछूता नहीं रहा है। प्रायः सभी आख्यानों में इसका संबंध, किसी महत्वपूर्ण घटना से जोड़ा गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने जब असुर द्वय मधु-कैटभ कासंहार किया तो, मधु के सिर पर उन्होनें मंदार पर्वत और कैटभ के सिर पर ज्येष्ठगीर पर्वत (वर्तमान में मंदार से 25 कि.मी. उत्तर पश्चिम, रजौन में अवस्थित जैठोर) को स्थापित किया और यहीं से विष्णु का मधुसूदन रूप प्रचलित हुआ। यह मंदिर, मंदार पर्वत के चरण स्थली में अवस्थित है। मत्स्यपुराण और वामन पुराण की कथा के अनुसार मंदार पर्वत ही शिव की निवास स्थली थी। यहॉं से रावण द्वारा उन्हें उठा कर लंका ले जाने के क्रम में, रास्ते में वर्तमान देवघर भूमि पर रख देने के कारण शिव वैद्यनाथ के रूप में वहीं स्थापित हो गए और वैधनाथधाम तीर्थ की स्थापना हुई। वहीं, मार्कण्डेय पुराण का दावा है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर  का संहार, मंदार पर्वत देव से ही किया था। लोक प्रचलित मान्यता के अनुसार, वनवास की अवधि में सीता ने मंदार पर्वत के मध्य स्थित कुंड में छठ व्रत किया था। आज भी वह कुण्ड, सीता कुण्ड के नाम से अवस्थित है।
मंदार और जैन धर्म


हिन्दू धर्म के अलावा जैन परम्परा में भी मन्दार पर्वत की तीर्थस्थली के रूप में व्यापक महत्ता है। जैन धर्म के 12 वें तीर्थकर वसुपूज्य जो मूलतः चम्पापुरी के राजकुमार थे, ने इसी पर्वत को अपनी साधना भूमि के रूप में चुना था और अंततः यहीं निर्वाण को प्राप्त हुए थे। जैन मतावलंबियों के अनुसार वसुपूज्य के चरण चिन्ह अभी भी मंदार पर्वत के शिखर पर धिष्ठापित है। हालांकि वैष्णव मतावलंबियों में यह चिह्न, विष्णुपाद चिह्न के रूप में मान्य और पूज्य है।
सफा धर्म और मंदार
सफा धर्म बीसवीं सदी में एक स्थानीय सुधारक एवं धर्म प्रचारक श्री चन्दर दास जी द्वारा प्रवर्तित मता है। इस मत का प्राणतत्व है, बाह्य आचरण के साथ-साथ अपने अन्तर्मन की शुद्धता पर जोर। इस मत के सुधारवादी संदेश के कारण आस-पास के आदिवासी जनसमुदाय में इसे काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई और बड़ी संख्या में संथाल और पहड़िया जैसे वनवासी समुदाय के लोग, इस मत के सत्संग में हिस्सा लेने लगे। इस धर्म के गतिविधियों का केन्द्र भी मंदार पर्वत अंचल ही रहा। इस प्रकार मंदार पर्वत तीन धर्मों की त्रिवेणी से सज्जित है। इसके चरणस्थली में सफा धर्म के केंद्र के रूप में सत्संग कुटिया अवस्थित है, तो मध्य भाग में नरसिंह गुफा के रूप में वैष्णव प्रभाव स्पष्ट होता है। वहीं, मंदार पर्वत का शिखर वसुपज्य के निर्वाण स्थल के रूप में एक जैन तीर्थ के रूप में स्थापित है। किन्तु, इन तीनो धर्मों को मंदार ने अपने अंचल में इस सौहार्द के साथ समेटा है कि एक ही चिन्ह को जैन मतावलंबी वसुपूज्य के चरण चिन्ह के रूप में, वैष्णव विष्णु पद मान कर के सदियों से पूजते आ रहे हैं। इसी पौराणिक मंदार पर्वत पर नवनिर्मित आकाशीय रज्जु पथ का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने, बीते मंगलवार को रिमोट का बटन दबा कर उद्घाटन किया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शिलापट्ट का भी अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने आकाशीय रज्जु पथ से मंदार पर्वत के शीर्ष पर पहुँच कर जैन मंदिर में भगवान महावीर की पूजा-अर्चना कर बिहार वासियों के सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की। जैन मंदिर के दर्शन के पश्चात् मुख्यमंत्री ने मंदार पर्वत के आसपास बसे इलाकों के संबंध में अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। इसके पश्चात् मुख्यमंत्री ने मंदार पर्वत पर स्थित सीता कुंड का भी निरीक्षण किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस जगह पर रोपवे का निर्माण हुआ है। इसके उद्घाटन का आज मुझे अवसर मिला है। यह जगह ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का है। इसका काफी पौराणिक महत्व है।

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